Thursday, 16 April 2020
Monday, 9 March 2020
भारत माँ की कविताएं जय भारत
जब सारी दुनिया भूली थी माँ तुमने दीप जलाया था
बेसुध था मनुज तमिस्रा में जागृति का गान सुनाया था।।
सबसे ऊंची विजय पताका लिए हिमालय खड़ा रहेगा
मानवता का मान बिंदु भारत सबसे बड़ा रहेगा।।
इस धरा की गोद में संसार को संस्कृति मिली है
हर शिखर की धवलता इस देश की जिंदादिली है।।
एक श्लोकी रामायण
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनं,
वैदेहीहरणं जटायू मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।
बाली निर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरी दाहनम्
पश्चाद् रावणकुम्भकर्णहननम् एतद्धि रामायणम् ।।
एग्जाम का आक्रमण
एग्जाम आते है
खूब तड़पाते है
आक्रमण होता नम्बरो का
रैंक सबसे ऊपर का
नहीं तो खाने पड़ेंगे डंडे
बेचने पड़ेंगे अंडे
इस ही जाये काश
हम हो जाये पास
हाथ जोड़ो माता के
पैर पकड़ो महा ज्ञाता के
Friday, 21 February 2020
पब्जी नई बीमारी
देश में नई बीमारी आई
पब्जी के संग आई
यह है एक घातक बीमारी
जिससे खोनी पड़े जान हमारी
लोग नहीं मानते बात हमारी
जब आएगा असली परिणाम
तब बोलोगे राम राम
कड़वा लगता सच सभी को
पब्जी खेला तो मरना सभी को
पब्जी कैसा खेल है
यह तो एक जेल है
Thursday, 20 February 2020
poem
आज का आलम बहुत सुहावना है
हमें भी कुछ अच्छा करके दिखाना है
सूर्योदय भी सुन्दर है
जोश भी खूब अंदर है
कोयल डालियो पर बोले है
कुछ अच्छा समाज में टटोले है
प्रकृति हाथ फैलाकर बुलाती है
गले लगने की तम्मना पूरी हो जाती है
जब जब धरती माँ अपनी गोद में सोने को बुलाती है
तब तब इसकी गोदी में गड़े बढ़ते जाते है
poem
मोबाइल होता हाथो में
जब तक देखो रातो में
ये सब है पब्जी का खेल
डाल रहे स्वयं को जेल
ऐसा खेल है पब्जी
जिससे बेचनी पड़े सब्जी
हो भी सकती है कब्जी
कहते है ये खेल है युवायों का
लेकिन यह खेल है समस्यायों का
इस देश में है बेरोजगारी
पहले पब्जी से हटो फिर मिलेगी रोजगारी
जब तक देखो रातो में
ये सब है पब्जी का खेल
डाल रहे स्वयं को जेल
ऐसा खेल है पब्जी
जिससे बेचनी पड़े सब्जी
हो भी सकती है कब्जी
कहते है ये खेल है युवायों का
लेकिन यह खेल है समस्यायों का
इस देश में है बेरोजगारी
पहले पब्जी से हटो फिर मिलेगी रोजगारी
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