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Thursday, 20 February 2020

poem

मोबाइल  होता हाथो में
जब तक देखो रातो में
ये सब है पब्जी का खेल
डाल  रहे स्वयं को जेल
ऐसा खेल है पब्जी
जिससे बेचनी पड़े सब्जी
हो भी सकती है कब्जी
कहते है ये खेल है युवायों का
लेकिन यह खेल है समस्यायों का
इस देश में है बेरोजगारी
पहले पब्जी से हटो फिर मिलेगी रोजगारी

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